Saturday, 29 April 2017

प्रेम की परिभाषा

प्रेम वो है जो
चाँद पर जाने की
बात करता है
केशो को घटा,
आँखो को समन्दर
गालो की तुलना
गुलाब से करता है
या वो
जो बचाता है
पाई पाई घर चलाने को
आटे दाल की फिक्र मे
प्रतिपल गलता है
सुबह से लेकर रात तक
प्रेम की परिभाषा
न समझ सका आजतक
कोई

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !