कुछ भी व्यर्थ
नहीं होता " यंहा "
कोई भी रिश्ता
टूटता नहीं " यंहा "
रिश्ता या तो जीता
है " यंहा " या मर जाता है
पर रिश्ता टूटता नहीं
चाहे बातें बंद हो जाए
चाहे मुलाकातें बंद हो जाए
या एक नज़र देखना भी
पर रिश्ते हमेशा
बने रहते है जीते हुए
आमने सामने और
मरने के बाद
मन में - स्मृति में - यादो में
पर कुछ भी व्यर्थ
नहीं होता " यंहा "
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