Saturday 29 April 2017

कहाँ क्या दफ़न हुआ










कुछ लफ्ज़ ज़िन्दगी के
सिर्फ खुद से ही पढ़े जाते हैं
वही लफ्ज़ जो दिल
की गहराइयों में
दब गए कभी सोच कर
कभी भूल से
जैसे कुछ भूली
हुई सभ्यताएं
जो नजर आती है
सिर्फ जमीनों के
खोदने से
ठीक वैसे ही
"कुछ यादें "
जो दबी हैं
ज़िन्दगी के उन
पन्नो में
जो वर्जित है
सच जानने से पहले
दुनिया की नजरों में आना
और वो पन्ने पढ़े हैं
सिर्फ उन्ही ने
जो जानते हैं कि
" कहाँ क्या दफ़न हुआ था ?"

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !