Saturday 29 April 2017

फूलों के बीज











मैंने सोचा तुम
फूल सी हो तो
तुम्हे फूल बहुत पसंद होंगे
और इसीलिए मैं
ढेर सारे फूलों के बीज
लेकर आ गया किन्तु
तुम्हारे पत्थर से दिल
को देखकर सोचता हूँ
इन बीजों को क्या करूं
अच्छा होता
मैं इन बीजों के साथ
मुठ्ठी भर मिट्टी
मेरे रूह की भी लाता
और अँजुरी हथेली में ही
हथेली की ऊष्मा तथा
मेरी आँखों की नमी से
अँजुरी भर फूल उगाता
तो शायद तुम्हारा दिल
पसीज गया होता

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !