Friday 28 April 2017

सवालो की तरह

ज़िंदगी रोज़ गुजरती है 

सवालो की तरह
हर बात का दू मैं जवाब
यह ज़रूरी तो नही ....
कर जाते हैं चाहने वाले
भी कभी कभी बेवफ़ाई
मैं भी कर जाऊ
तुझसे कुछ ऐसा
यह ज़रूरी तो नही
किस तरह मुकम्मल
हो रहा है ज़िंदगी का सफ़र
और कितना पाया है
मैंने दर्द तुम्हे बता दू
यह ज़रूरी तो नही
दिखता हु अपने चेहरे पर
हँसी हर वक़्त मैं तुम्हे
पर इसके पीछे छिपी
उदासी भी दिखा दू
यह ज़रूरी तो नही
इस तरह तो मैं कभी
कमज़ोर ना था ज़िंदगी में
पर तेरे कंधो पर
अपना सिर रख के
रो दे यह ज़रूरी तो नही?


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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !