Saturday, 29 April 2017

ऐ जिंदगी









ऐ जिंदगी तुझे जीना
चाहता हूँ मैं
लबों से अपने तुझे
पीना चाहता हूँ मैं।
तेरे साथ ही चल
पड़ें है कदम मेरे
एक एक लम्हा तुझसे
चुराना चाहता हूँ मैं।
पलकों से चूम लूँ
तेरा हर वो शय ,
तुझसे ही रस्में उल्फत
निभाना चाहता हूँ मैं।
बीते रागिनी को दफ़न कर
अतीत के पन्नो में
तुझसे ही लिपट कर
रोना चाहता हूँ मैं।
सीने से लगा ले
मुझको तू अपने ,
तमाम उम्र तुझपे अपनी
लुटाना चाहता हूँ मैं।।

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !