Saturday, 29 April 2017

हर हद टूट जाती है



कहने करने की
हर हद टूट जाती
जो हर आती साँस
जिस्म से रूह
जुदा कर जाती
जो न होता कुदरत में
सूरज की ताप
और बादलों की
नमी का नजारा
धरती का आँचल
लगता बदरंग बेसहारा !!
दिल में जलती
सूरज सी आग
नयनों में
टिप टिप करती
बरसात
कुदरत के रंग सी
यही प्रेम की सौगात !!
है शायद

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !