Saturday, 29 April 2017

मुस्कराती हुई... तुम...!!!








एक एक अक्षरों को ..
उठाकर..सजाकर..
एक व्यवस्थित
क्रम में लगाकर..
लिखने की कोशिश
करता हूँ मै...
कविता...
होती है की नहीं
क्या पता मुझे ??
पर !
हर अक्षर में
दिखाई जरुर देती हो
मुस्कराती हुई...
तुम...!!!

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !