Saturday, 29 April 2017

तेरे दिल की जमीन पर











तेरी सुरमई आंखों में
तलाश रहा हूं अपनी तस्वीर
तेरे दिल की जमीन
पर ढूंढ़ रहा हूं एक आशियाना
तुम्हारी मरमरी बांहों में बसाना
चाहता था अपनी एक अलग दुनिया
पर शायद ये मुमकिन नहीं क्योंकि
जगा चुकी तुम मुझे एक
गहरी नीन्द से लौट आया हूं मैं
ख्वाबों की दुनिया से
हकीकत की जमीं पर
एक पल को लगा 
ऐसा जैसे सिमट गई हो
सारी दुनिया मेरे आगोश में
फिर से मैंने अपने आप को
पाया बिलकुल तन्हा और अकेला
मेरे पास बची थी कुछ यादें मेरे उन
सुनहरे ख्वाबों की उनको सम्भाले हुए
अपने जेहन में बढ़ चला
एक अनजानी मंजील की ओर अब

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !