Friday 28 April 2017

प्रेम है नील गगन सा



प्रेम है 
उस विस्तृत
नील गगन सा
जो सिर्फ अपने
आभास से ही
खुद के अस्तित्व
को सच बना
देता है.......
प्रेम टूट कर
बिखरने की
एक वह प्रक्रिया
जो सिर्फ चांदनी
की रिमझिम में
मद्दम मद्धम सा
दिल के आँगन में
तारों की तरह
टूटता रहता है!

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !