Saturday, 29 April 2017

तुम्हारे उलझे बाल








उस दिन की एक-एक
बात याद है
फिर जब महकती
उस रात की ठण्ड में
बादलों ने खुद को निचोड़ा
और कुछ बूँदें टपकाई
तब एक भटका हुआ
नन्हा हवा का झोंका
तुम्हारे उलझे हुए
बालों से खेलने लगा था
किस मासूमियत से
फिर तुमने उसको झंझोड़ा
वो गीली हवा का झोंका
सब याद है मुझको

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !