उदासी का सबब !
मैं किस किस को
बताती अपनी इस
उदासी का सबब !
मैं किस किस से
पूछती एक ऐसी
उदासी के बारे जिस
में किसी तरह की कोई
बेचैनी ही ना थी !
हर तरफ फ़ैली इस
बिना वजह की उदासी
भी तो एक तरह की
रूमानी ही होती है !
मैं बस उसे एक टक
देखती रही वजहों पर
उस से बेवज़ह की
बहस क्या करती !
कभी कभी बेवजह
कुछ करने में भी इस
दिल को बड़ा ही सकूँ
मिलता है !
No comments:
Post a Comment