भाव भंगिमा !
तुम कांपती सर्दी सी
और मैं पसीने से
लथपथ ग्रीष्म सा !
लगभग एक दूसरे
के विपरीत भाव
भंगिमा है हमारी !
पर एक दूसरे से
कुछ ना कुछ तो
चाहते है हम !
तुम्हे मुझसे प्रेम
की गर्माहट चाहिए
ताकि तुम अपनी
ठिठुरती देह को
तपिश दे सको !
मुझे तुमसे शीत
की वो लहर चाहिए
ताकि सूखा सकू
पसीने से लतपथ इस
ग्रीष्म से देह को !
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