वजह बेशुमार है मेरे पास ,
तुम्हे यूँ ही प्यार करने की ;
हाल-ए-दिल जब जब लिखती हूँ ,
स्याही होती है एक तेरे नाम की ;
जो इत्र लगाती हूँ ख़ुश्बू होती है ,
उस मे बस एक तेरे नाम की ;
जो रत्न पहना है वो झलकता है ,
बिलकुल तुम्हारे चमकते चेहरे सा ;
जब संवरती हूँ तारीफ होती है ,
एक बस तेरे ही कोहिनूर की ;
जब लिखती हूँ कविता प्रेम की ,
वाह निकलती है तेरे नाम की ;
अब तुम ही कहो और कितनी वजह ;
मैं तुम्हे गिनाऊँ तुम्हे प्यार करने की !
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