Saturday, 11 January 2020

रूठा साजन !


रूठा साजन !

सुन तू अपने 
रूठे हुए साजन 
को अब बुला ले !
वो तुझ से रूठकर
अब भी यहीं कहीं  
छुपकर बैठा होगा ! 
वो तो बस उसी 
जिद्द पर ही तो 
अड़ा बैठा होगा !
सुन तू ही सब 
भुला कर अब 
उसे मना ले !
वर्ना तुम दोनों 
कि ये बेक़रार सी  
ज़िन्दगी बे-कार सी  
ना हो जाए !   
ये आज से पहले 
भी तुझे तेरे कई  
बुजुर्गों ने भी कहा 
ही होगा !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !