Wednesday, 1 January 2020

नव-नूतन प्रेम !


नव-नूतन प्रेम !
  
मैं प्रेम हूँ 
अपनी प्रीत का 
नव नूतन वर्ष का 
यह पहला दिन मैं अपनी 
प्रीत के नाम करता हूँ !

ठंड से ठिठुरती ये 
मेरी ज़िन्दगी को मैं 
अपनी प्रीत का सानिध्य 
प्रदान करता हूँ !

सूरज जो अभी अभी  
गर्म मुलायम धूप का 
एक सबसे चमकीला 
टुकड़ा मेरी पीठ पर डाल 
कर गया है !

उस से उपजी समस्त 
उर्मा को भी मैं आज 
अपनी उसी प्रीत के 
नाम करता हूँ !

वो उसे खुद में कर 
के जज्ब करेगी उसे 
पोषित करने को हमदोनों  
के हम का विस्तार !

मैं प्रेम हूँ  
जिस प्रीत का उसकी 
ये लिखित परिभाषा भी  
मैं आज उसी मेरी प्रीत  
के नाम करता हूँ ।

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !