विद्रोह !
विद्रोह कर आँसुओं ने
नयनों को भिगोने का
संकल्प लिया !
सिसकियाँ ने भी फिर
कंठ को अवरूद्ध करने का
फैसला किया !
स्वरों का मार्गदर्शन भी
शब्दों ने ना करने का मन
बना लिया !
भाव भंगिमाओं ने भी
रूठ कर कहीं लुप्त होने
का फैसला कर लिया !
अनुभूतियों के स्पंदनों ने
भी तपस्या में विलीन होने
का निश्चय कर लिया !
विरह में दूरियों का एहसास
हमारी इन्द्रियों में भी विद्रोह
भर देता है !
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