तुम्हारा स्पर्श !
दौड़ती भागती उम्र के
व्यस्ततम पलों में भी ,
एक तुम्हारा ख़्याल
एक तुम्हारा ज़िक्र ;
एक तुम्हारी फ़िक्र
मुझ में तरुणाई का
संचार करती है !
एक तीव्र इक्षा मेरे
इस मन में उठती है !
काश तुम होती अभी
मेरे साथ अपनी बेशुमार
चाहत के साथ तो इस
तपते जलते प्रखर के
चारों ओर फ़ैल जाती
एक ठंडी बयार और
उस से हो कर आने
लगते सुगन्धित ठंडे
ठंडे छींटे आह्ह कितनी
पाक और रूहानी है !
ये तुम्हारी याद और
जीवन देता हुआ है ;
ये तुम्हारा स्पर्श !
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