धड़कनों के जुगनू !
मेरी धड़कनों के ये जुगनू
कहाँ सब्र से काम लेते है
आठों पहर ये खुद से
ही उलझते रहते है
एक तेरे ही तो किस्से
उनके पास होते है
लम्हा लम्हा तुम को
ही दोहराना तो काम
उल्फत का होता है
हवाओं के परों पर
पैगाम लिखना मगर
मेरा काम होता है
कभी शिकवे तो कभी
शिकायत करना एक
बस उसका काम होता है
मेरी धड़कनों के ये जुगनू
कहाँ सब्र से काम लेते है !
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