Sunday, 26 January 2020

मौन ! !


मौन ! !

अखर जाता है , 
अक्सर मौन हो जाना 
टीस दर्द और कसक 
करती तो रहती है ; 
व्याकुल पर कितना 
कुछ चलता रहता है ; 
इस मन के भीतर 
पर खालीपन अंतस 
का जाने क्यों खुद को 
भी अक्सर जाता है ;
क्यों अखर ! 


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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !