अधूरापन !
फूल तो जैसे मुरझा जाते है
सूरज भी जैसे बुझ जाता है
चिड़ियाँ भी हो जाती है गूंगी
चारों ओर सन्नाटा फ़ैल जाता है
सारी दिशाएँ सुनी हो जाती है
रंगों से भरा ये संसार भी जैसे
फीका फीका सा हो जाता है
तुम्हारे दूर जाने के बाद तो
जैसे आती ही नहीं है बहार
तुम्हारे पास आने से जैसे
फ़ैल जाती है हवाओं में
महक और गुनगुना उठती है
पेड़ों की पत्तियाँ और लगने
लगता है सारा का संसार अपना
जगता है मन में अपने अस्तित्व
के पूर्णताः का एहसास और लेकिन
फिर एक बार अधूरा हो जाता हूँ
एक बस तुम्हारे दूर जाने के बाद !
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