Sunday, 26 January 2020

मेरे जीने का सहारा !


मेरे जीने का सहारा !

मेरे पास ये जो कुछ भी है , 
वो सब एक बस तुम्हारा ही  
तो दिया हुआ है ;
ये दर्द ये कसक और ये गुस्सा 
हो या हो फिर ढेरों नाराजगियाँ 
वो सब एक बस तुम्हारा ही  
तो दिया हुआ है ;
ये पल पल की बेचैनियां और 
दुनिया से उकताया ये मेरा 
उद्वेलित मन भी तो एक बस 
तुम्हारा ही तो दिया हुआ है ;
रातों में जगती हुई मेरी ऑंखें
तन्हाई में मचलता हुआ मन  
विरह में तड़पती मैं और मेरे 
ये टपकते आंसूं ये सब एक बस 
तुम्हारा ही तो दिया हुआ है ;
ऊपर से बैचैन ये मेरा तन और  
सीने में उठता ये दर्द ये सब एक 
बस तुम्हारा ही तो दिया हुआ है ;
ये आँखों की जलन और प्रेम विरह 
पर लिखी कविता ये सब कुछ जो है ,
एक मेरे जीने का सहारा ये सब भी 
तो बस एक तुम्हारा ही दिया तो है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !