मेरे जीने का सहारा !
मेरे पास ये जो कुछ भी है ,
वो सब एक बस तुम्हारा ही
तो दिया हुआ है ;
ये दर्द ये कसक और ये गुस्सा
हो या हो फिर ढेरों नाराजगियाँ
वो सब एक बस तुम्हारा ही
तो दिया हुआ है ;
ये पल पल की बेचैनियां और
दुनिया से उकताया ये मेरा
उद्वेलित मन भी तो एक बस
तुम्हारा ही तो दिया हुआ है ;
रातों में जगती हुई मेरी ऑंखें
तन्हाई में मचलता हुआ मन
विरह में तड़पती मैं और मेरे
ये टपकते आंसूं ये सब एक बस
तुम्हारा ही तो दिया हुआ है ;
ऊपर से बैचैन ये मेरा तन और
सीने में उठता ये दर्द ये सब एक
बस तुम्हारा ही तो दिया हुआ है ;
ये आँखों की जलन और प्रेम विरह
पर लिखी कविता ये सब कुछ जो है ,
एक मेरे जीने का सहारा ये सब भी
तो बस एक तुम्हारा ही दिया तो है !
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