Thursday, 9 January 2020

प्रेम के रंग !


प्रेम के रंग !

मेरे शब्दों में बहती 
जो ये प्रीत है वो प्रीत 
तुमने ही तो दी है !
मेरे भावों से जो बनता 
चित्र है वो चित्र भी तो 
तुमने ही दिखाया है ! 
ये भाव ये भंगिमा 
ये राग ये मधुरता 
सब कुछ तो मुझे 
तुम से ही मिली है !
मेरे दिल के कोरे कागज़ 
पर जो ये रंग पीला नीला 
काला लाल और गुलाबी
भरा है ये सारे रंग भी तो 
तुमने ही भरे है ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !