प्रेम के रंग !
मेरे शब्दों में बहती
जो ये प्रीत है वो प्रीत
तुमने ही तो दी है !
मेरे भावों से जो बनता
चित्र है वो चित्र भी तो
तुमने ही दिखाया है !
ये भाव ये भंगिमा
ये राग ये मधुरता
सब कुछ तो मुझे
तुम से ही मिली है !
मेरे दिल के कोरे कागज़
पर जो ये रंग पीला नीला
काला लाल और गुलाबी
भरा है ये सारे रंग भी तो
तुमने ही भरे है !
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