Friday 17 January 2020

हंसी मुलाकात !


हंसी मुलाकात !

बस अब ऐसी झूम 
के बरसात हो , फिर 
दिलकश हसीं तेरी 
मेरी मुलाकात हो !
इस कदर मिले तड़प 
कर दो दिल , कि धड़कनो
पर ना कोई अब उनका 
इख्तयार हो !
एक एक बून्द समर्पण 
कि से सजी सारी ये 
कायनात हो !
आगोश में फिर मेरी 
सिर्फ एक वो ही 
पाक-ए-हयात हो !
फिर उन खामोश लबों की 
दास्तान वो रब भी सुने ,
निगाहों से प्रेम के जल 
की झमझम बरसात हो !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !