हंसी मुलाकात !
बस अब ऐसी झूम
के बरसात हो , फिर
दिलकश हसीं तेरी
मेरी मुलाकात हो !
इस कदर मिले तड़प
कर दो दिल , कि धड़कनो
पर ना कोई अब उनका
इख्तयार हो !
एक एक बून्द समर्पण
कि से सजी सारी ये
कायनात हो !
आगोश में फिर मेरी
सिर्फ एक वो ही
पाक-ए-हयात हो !
फिर उन खामोश लबों की
दास्तान वो रब भी सुने ,
निगाहों से प्रेम के जल
की झमझम बरसात हो !
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