मेरी रात !
तेरी आँख से जब ख़ुद को देखा
तो देखते ही मुस्कुराईं मेरी रात ;
तेरी याद का जब काजल पहना
तो पहनते ही शर्मा गयी रात ;
जिस के इश्क़ में पागल नैना
उसी के इश्क़ में पगलाई रात ;
बिस्तर से जब उठी सिसकारी
उठते ही यूँ खिलखिलाई रात ;
सुबह ने ज्योँ ही ओट से देखा
देखते ही देखते बीत गई रात !
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