Saturday, 7 December 2019

मेरी रात !


मेरी रात ! 

तेरी आँख से जब ख़ुद को देखा 
तो देखते ही मुस्कुराईं मेरी रात ;

तेरी याद का जब काजल पहना 
तो पहनते ही शर्मा गयी रात ;

जिस के इश्क़ में पागल नैना 
उसी के इश्क़ में पगलाई रात ;

बिस्तर से जब उठी सिसकारी 
उठते ही यूँ खिलखिलाई रात ;

सुबह ने ज्योँ ही ओट से देखा
देखते ही देखते बीत गई रात !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !