Sunday 22 December 2019

मनः कृष्णा !


मनः कृष्णा !

मन ही तो कृष्ण है 
मन ही तो श्याम है
तब ही तो मन चंचल है 
तब ही तो मन अधीर है
वो कहाँ कभी किसी के  
कहने पर ठहरता है
कहाँ किसी के बुलावे  
पर वो साथ चलता है  
वो तो हमारी सांस के 
संग संग ही हम कदम 
होकर उसकी पदचाप 
से अपनी पदचाप 
मिला कर चलता है
वो अविराम चलता है 
मन ही तो कृष्ण है 
मन ही तो श्याम है
तब ही तो मन चंचल है 
तब ही तो मन अधीर है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !