Tuesday, 24 December 2019

ये मैं ही तो है !


ये मैं ही तो है !

ये मैं ही तो है , 
जो हम सब को अपने 
अपने हम से दूर रखता है ! 

ये मैं तब चूं से मैं भी 
कहाँ करता है , जब हम 
मैं से हम होने निकलते है !

ये मैं ना जाने तब कहां 
हमारे अंदर ही छुपा बैठा 
रहता है ! 

जब हम किसी अनजान को 
अपना बनाने की जद्दोजहद 
में लगे रहते हैं !

ये मैं तब ही ना जाने क्यों 
हमारे ऊपर हावी होने को 
तत्पर होता है !

जब हम उस अनजान को
अपना बना कर उस से कई 
वादे कर चुके होते हैं !

ये मैं ना जाने क्यों बस 
उस अनजान पर अपना 
आधिपत्य जमाने की ही 
कोशिश में लगा रहता है।

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !