Monday, 9 December 2019

बेइंतेहा मोहब्बत !


बेइंतेहा मोहब्बत !

तेरे हर एक जज्बात से 
बेइंतेहा मोहब्बत की है  
तेरे हर एक एहसास से 
बेइंतेहा मोहब्बत की है
तेरी हर एक याद से  
बेइंतेहा मोहब्बत की है
जब जब तुमने याद किया है 
मैंने हर एक उस लम्हे से
बेइंतेहा मोहब्बत की है
जिसमे हो एक सिर्फ तेरी
और एक सिर्फ मेरी बात  
मैंने तेरी उस एक जात से 
भी बेइंतेहा मोहब्बत की है
तेरे हर एक इंतज़ार से भी 
मैंने उतनी ही सिद्दत से 
बेइंतेहा मोहब्बत की है
तू मेरी है सिर्फ मेरी मैंने 
तेरे दिए उस भरोसे से भी 
बेइंतेहा मोहब्बत की है

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !