Saturday, 21 December 2019

पांच ऋतुएँ !


पांच ऋतुएँ !

अगर ऋतुएँ चार नहीं 
पांच होती तो किसी को  
कुछ बताना नहीं पड़ता !
अगर ऋतुएँ चार नहीं 
पांच होती तो किसी को 
अलग से पढ़ाना नहीं पड़ता !
अगर ऋतुएँ चार नहीं 
पांच होती तो कितना 
अच्छा होता प्रकृति स्वयं 
ही अपने कृत्यों से सबको 
सब कुछ सिखला देती ! 
उस ऋतु में प्रकृति सिर्फ
और सिर्फ लाल लाल रंग 
के ही पुष्प खिलाती !
जाड़ा गर्मी बरसात और 
बसंत के साथ एक ऋतु 
और होती जिसे हम सब 
रजस्वला ऋतु ही कहते ! 
अगर ऋतुएँ चार नहीं 
पांच होती तो किसी को  
कुछ सिखाना नहीं पड़ता !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !