Friday, 6 December 2019

सब ज्ञात है तुझे !


सब ज्ञात है तुझे ! 

तेरे दो बूँद आंसू मेरी  
वेदनाओँ का समंदर है :
ये ज्ञात है तुझे ! 
तेरा मुस्कुराना मेरी 
सृष्टि का चलना है ; 
ये भी ज्ञात है तुझे !
मेरे आंगन में तुम्हारा 
उपस्थित होना ही मेरे 
भाग्य का उदय हो ना है ;
ये भी ज्ञात है तुझे !
तेरे ह्रदय में मेरा ना 
ही मेरी सम्पूर्णता है ; 
ये भी ज्ञात तुझे !
फिर किन्यु तुम अब 
भी इतनी दूर हो मुझसे 
क्यों ये ज्ञात नहीं मुझे ! 
कम से कम ये तो मेरे 
पास आकर बतला दो 
तुम मुझे !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !