ख़ामोश चिड़ा !
क्या तुम्हे पता है ?
रोज-रोज चीं -चीं कर
शोर मचाने वाला चिड़ा
आज इतना खामोश क्यों है ?
क्या तुम्हे पता है ?
रोज-रोज चीं -चीं कर
उड़ने वाला चिड़ा आज इतना
खामोश क्यों है ?
क्या किसी ने क़तर दिए है
इसके फर फर कर उड़ने
वाले पर ?
क्या तुम्हे पता है ?
रोज-रोज चीं -चीं कर
अपनी चोंच को भर लाने
वाला चिड़ा आज अब तक
भूखा क्यों है ?
क्या तुम्हे पता है ?
रोज-रोज चीं -चीं कर
अपने सीने में जमी ठण्ड को
गर्म भाप और गर्म पानी से
मिटाने वाला चिड़ा आज
इतना खामोश क्यों है ?
शायद तुम्हे पता है पर तुम
कहना नहीं चाहती अपनी
जुबां से की वो खोज रहा है ?
अपनी गौरैया को जो आज
सुबह ही इसे छोड़ कर कहीं
ओर चली गयी है ?
क्या तुम्हे पता है ?
वो जाते जाते अपने साथ
इस चिड़े की चीं चीं भी
अपने साथ ले गयी है !
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