Friday, 27 December 2019

तुम ही बताओ !


तुम ही बताओ !

मैं तुम्हारे दर्द पर  
कविता लिखूंगा तो 
क्या कवि हो जाऊँगा ! 
तुम्हारे उसी दर्द की टीस  
पर गर मर्सिये गाऊंगा तो 
क्या चर्चा में आ जाऊंगा ! 
तुम्हारे दर्द के लिए 
किसी से दो-दो हाथ होने 
की जगह गर सिर्फ कागज़ 
को काला करता रहूँगा !
तो क्या योद्धा होने के 
गुमान को अपने जहन 
में पाल सकूंगा ! 
तुम्हारी दर्द में छुपी हुई  
एक हंसी को गर मैं तलाश 
भी लूंगा तो क्या मैं चैन 
को पा सकूँगा !
तुम ही बताओ ना 
क्या मैं ऐसा कर के 
अपने जमीर को जिंदा 
रख पाऊंगा !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !