Wednesday, 18 December 2019

प्यार तेरा !


प्यार तेरा !

बेमौसम बरसात 
सा प्यार तुम्हारा ;
मेरे मन को हरा 
हरा कर जाता है ;
जेठ में ये दिखाता है 
नखरे और कार्तिक में 
बेवक़्त बरस जाता है ;
जब जरुरत पड़ती है 
नहीं मिल पाता है ; 
साया धूप ही धूप पुरे 
के पुरे सफर मेँ मिली  
एक दरख़्त ढूंढता मै 
रहा दूर तलक ना कहीं 
भी थोड़ी भी छाँव मिली 
बेमौसम बरसात सा 
प्यार तेरा !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !