प्यार तेरा !
बेमौसम बरसात
सा प्यार तुम्हारा ;
मेरे मन को हरा
हरा कर जाता है ;
जेठ में ये दिखाता है
नखरे और कार्तिक में
बेवक़्त बरस जाता है ;
जब जरुरत पड़ती है
नहीं मिल पाता है ;
साया धूप ही धूप पुरे
के पुरे सफर मेँ मिली
एक दरख़्त ढूंढता मै
रहा दूर तलक ना कहीं
भी थोड़ी भी छाँव मिली
बेमौसम बरसात सा
प्यार तेरा !
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