Monday, 16 December 2019

सांसों की ऊष्मा है !


सांसों की ऊष्मा है !

तुम्हारी सांसो ने 
मेरे कहे एक-एक 
शब्द में ऊष्मा भर दी !

वो सारे शब्द तुम्हारी 
सांसों की ऊष्मा पाकर 
अमर हो गए !

वो शब्द फिर मुझे 
और शब्दों से ज्यादा 
प्रिय हो गए थे !

अब मैं घिसता हूँ  
उन तुम्हारी ऊष्मा 
पाए शब्दों को अपनी
इन दोनों हथेली पर ! 

इस उम्मीद में की 
वो मेरी इन हथेलियों 
में एक नयी भाग्य रेखा 
बनकर उभरेंगे ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !