Tuesday 10 December 2019

एहसासों की जरुरत !


एहसासों की जरुरत !

सोचा था मेरे एहसास भी 
तेरी सांसो की जरुरत हो 
जाएंगे ;   
सोचा था तुझे भी एक दिन 
मेरी मुझ सी ही जरुरत हो 
जाएगी ; 
सोचा था तुम्हारी भी धड़कने 
तुम्हे हर शाम-ओ-सहर परेशान 
कर देंगी ;
सोचा था तेरे दिल को भी मेरे 
दिल की मुझ सी ही आदत हो 
जाएगी ; 
सोचा था मेरी बातें भी तेरी 
नींद की हर करवट सी हो 
जाएगी ;
सोचा था हर मुलाकात पर  
तुम खुद को मेरे पास ही 
भूल आओगी ;
सोचा था मेरा साथ तेरी 
ज़िन्दगी की इबादत सी 
हो जाएगी ;
सोचा था तुझे पास लाने 
की जो तमन्ना बसी है 
मेरी  इस रूह में ;
सोचा था वो मेरी तमन्ना 
ही तेरी एक जिद्दी हसरत 
सी हो जाएगी ;
लेकिन मैंने ये नहीं सोचा था    
कि ये सब बस एक मैंने ही 
तो सोचा था !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !