Thursday, 19 December 2019

शर्द रात !


शर्द रात !

दहकती रातों की 
चांदनी में ;
बहकती जवानी के 
अरमानो में ;
चंचल हवाओं की
सरसराहटों में ; 
लरजते सांसों की 
कंपकपाहट में ;
प्रिय की बाँहों 
की गिरफ्त में ;
रातों की बोझिल 
खामोशियों में ;
पिघलते है जमे,
अरमानो के काफिले ;
शर्द की ठिठुरती  
रातों में !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !