नया रूप धरा है !
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ,
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
लगता है आज फिर सांझ ढले ,
सूरज धरा से बतियाने वाला है !
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ,
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
लगता है भोर भये आज फिर से ,
सूरज धरा के मन को भाया है !
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ,
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
सांझ ढले सबने उसे बिसराया है ,
धरा ने तब सूरज को गले लगाया है !
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ,
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है ,
दोनों का मिलन होने वाला है !
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ,
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
शायद धरा की कोख भर आयी है ,
जन्म बसंत बहार लेने वाला है !
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