Sunday, 8 December 2019

नया रूप धरा है !


नया रूप धरा है !

सूरज तो वहीं सदियों पुराना है , 
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
लगता है आज फिर सांझ ढले , 
सूरज धरा से बतियाने वाला है !
  
सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ,
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
लगता है भोर भये आज फिर से , 
सूरज धरा के मन को भाया है !

सूरज तो वहीं सदियों पुराना है , 
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
सांझ ढले सबने उसे बिसराया है ,  
धरा ने तब सूरज को गले लगाया है !

सूरज तो वहीं सदियों पुराना है , 
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है ,
दोनों का मिलन होने वाला है !

सूरज तो वहीं सदियों पुराना है ,
धरा ने आज नया रूप धरा है ;
शायद धरा की कोख भर आयी है , 
जन्म बसंत बहार लेने वाला है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !