निशा का प्याला !
जिस निशा का प्याला पूरी
की पूरी रात कलानिधि के
निचे पड़ा रहने के बाद भी
हयात के मधु से नहीं भर
पाता है ;
वो निशा ही उस मधु का
सही सही अंशदान समझ
सकती है ;
क्योंकि उस निशा के प्याले
से उतर चुकी होती है कलानिधि
की कलई भी ;
तब उस प्याले में पड़ी उस
रात की कल्पना कितनी
कड़वी हो जाती है ;
इस कड़वाहट का स्वाद तो
केवल वो ही समझ सकता है
जो उस निशा को तहे दिल से
चाहने का साहस करता है ;
जबकि उसे ये भी नहीं पता होता
कि कब तक उसे निशा के प्याले
में भरी कड़वी कल्पना को पीते
रहना पड़ेगा !
No comments:
Post a Comment