Tuesday, 1 October 2019

रत्ती भर प्रेम !


रत्ती भर प्रेम !

ज़िन्दगी के तराज़ू 
के एक पलड़े में कोई 
लाकर रख से दे भले   
ही पुरे संसार का वैभव 
ऊंचाई आकाश की 
चमक पुरे सूरज की   
चांदनी पूरी चंदा की 
भल मानसीहत पुरे 
के पुरे संसार की  
पर अगर किसी ने 
रख दिया दूजे पलड़े 
में रत्ती भर प्रेम भी 
चुपचाप तो पलड़ा 
झुका रहेगा हमेशा 
ही उस रत्ती भर
प्रेम के भार की
तरफ ही !  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !