कोमलांगी की कोमलता
तो उसकी चुप्पी में है ;
जिसे हम ना नहीं समझ
सकते है ;
इसे कुछ और भी नहीं
कह सकते है ;
व्यर्थ ही अपनी उद्दाम
इक्षाओं को उसके कांधों
पर नहीं डाल सकते है ;
अपने पहले प्यार की
खूबियों पर यकीन दिलाने
का तो कतई स्वांग नहीं
रच सकते है ;
वो इन सब के अर्थ भली
भांति जानती है ;
वो अच्छी तरह तुम्हारी
निरंतर ताकती निगाहों
का मतलब भी बखूबी
पहचानती है ;
कोमलांगी की कठोरता
तो उसकी ना में है ;
जिसे अब तुम कभी
नजअंदाज़ नहीं कर
सकते हो !
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