Thursday 26 September 2019

जख्म है अंदर !


जख्म है अंदर !

जख्म कई 
छुपा रखे है 
लिहाफ के अंदर 
अश्क़ कई 
बसा रखे है 
आँखों के अंदर 
नज़रें कई 
टकराती है 
आज भी इस 
भीड़ के अंदर 
मिलाना किसी 
ओर से वो नज़रें 
जो मिली थी तुमसे
रूह के अंदर 
ऐसी तबियत 
हमारी नहीं है 
उतर कर कहता है 
ये दिल तुम्हारे 
दिल के अंदर !  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !