क्या संभव है !
कहाँ मुमकिन है
अभिव्यक्त कर पाना
हु-ब-हु प्रेम को ;
क्या संभव है ?
इसको अर्थ से परे
अभिव्यक्ति से आगे
शब्दों में समेट पाना ;
क्या संभव है ?
इसको अपनी मातृ
भाषा में पूरी तरह
व्यक्त कर पाना ;
क्या संभव है ?
इसकी अभिव्यक्ति को
सही शब्द दे पाना ;
क्या संभव है ?
चाहत के इस विस्त्रत
आकाश को अपने आखरों
में बाँध पाना ;
नहीं शायद इसलिए
तुम समझ ही नहीं पायी
थाह मेरे प्रेम की अब तक !
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