Thursday, 12 September 2019

नन्ही-नन्ही बूंदें !


जिस तरह चिलचिलाती
दोपहरी में बारिश की कुछ 
नन्ही-नन्ही बूंदें भी 
उस चिलचिलाती दोपहर 
को भी बना देती है 
खुशगवार मौसम  
ठीक उसी तरह प्रेमी 
को भी प्रेमिका अपने 
साथ से कर देती है 
खुशगवार और फिर 
वही भींगी-भींगी सी   
दोपहरी लौटा लाती है 
वह उष्मा जो उन दोनों 
का प्रेम कई बार खो देता है 
अपनी नादानियों से !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !