Wednesday, 11 September 2019

तकदीर की रेखा !


तकदीर की रेखा !

तेरी सांसो ने 
मेरे कहे एक 
एक शब्दों में जैसे 
ऊष्मा भर दी तभी 
तो वो मेरे सारे शब्द 
जैसे अमर हो गए
पाकर तेरी सांसो 
की ऊष्मा को 
वो ही तो शब्द थे 
जो मुझे सबसे प्रिय थे 
तब से मैं घिस रहा हूँ 
उन सब्दो को अपनी
हथेली पर ताकि  
वो मेरी हथेली में 
तकदीर की एक 
नई रेखा बनकर 
उभर आये !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !