तन्हा रातें !
कुछ ही दिनों में फिर
दिन छोटे और रातें
लम्बी होने लगेंगी ;
फिर यादें तुम्हारी मुझे
इन लम्बी रातों में अकेले
जागने को मज़बूर करेंगी ;
फिर ये जाग मुझे
तुम पर लिखी अपनी
प्रेम कविता गुनगुनाने
को मज़बूर करेगी ;
फिर वो गुनगुनाहट ही
मेरे गीत बनेंगे जिन्हे मैं
माचिश की तीली की तरह
इस्तेमाल करूँगा ;
अँधेरी रातों में अकेले
जागने पर वो मेरी
मदद करेगी ;
क्यूँकि मुझे पता है
ये लम्बी और तन्हा
रातें किसी का साथ
मांगने को मज़बूर
करेंगी !
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