Tuesday, 17 September 2019

स्तुतियाँ लिखी है !


स्तुतियाँ लिखी है !

मेरी कवितायेँ 
वो स्तुतियाँ है 
जो मैंने ईश्वर 
के लिए लिखी है  
पर उन पर नाम 
मैंने अपनी प्रेयषी 
का ही लिख रखा है 
क्यूंकि मेरा ऐसा 
मानना है कि 
इस कलयुग 
में स्वयं ईश्वर 
तो आते नहीं है 
पर उनके स्वरूप  
में मैं जरूर पा 
सकता हूँ मेरी 
प्रेयषी को इसलिए 
मैंने अपनी सारी 
स्तुतियों पर उसी 
का नाम लिख 
रखा है !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !