Saturday, 26 October 2019

तुम्हारे पास चला आता हूँ !


तुम्हारे पास चला आता  हूँ !

तुमसे दूर जाने की बहुत सी
वजहें थी मेरे पास और बहुत
सी वजहें आज भी है मेरे पास ;

पर जब भी पहले प्यार का जिक्र
होता है , तब तुम मुझे इस कदर 
याद आती हो कि सब-कुछ भुलाकर 
मैं दौड़ा-दौड़ा तुम्हारे पास चला 
आता हूँ ;

तुमसे दूर जाने की बहुत सी
वजहें थी मेरे पास और बहुत
सी वजहें आज भी है मेरे पास ;

पर जब भी पहले प्यार पर लिखी
लिखी खुद कि कविता अकेले में
गुनगुनाता हूँ , मैं तब तुम मुझे इस 
कदर याद आती हो कि सब-कुछ 
भुलाकर मैं दौड़ा-दौड़ा तुम्हारे पास 
चला आता हूँ ;

तुमसे दूर जाने की बहुत सी
वजहें थी मेरे पास और बहुत
सी वजहें आज भी है मेरे पास;

पर जब जब निहारा खुद को
आईने में मैंने तब-तब मेरी आँखों 
में छाया तुम्हारा वज़ूद देखकर , तुम 
मुझे इस कदर याद आती हो की 
सब-कुछ भुलाकर मैं दौड़ा-दौड़ा
तुम्हारे पास चला आता हूँ ;

तुमसे दूर जाने की बहुत सी
वजहें थी मेरे पास और बहुत
सी वजहें आज भी है मेरे पास ;

पर जब भी सोचा तुम्हारी वीरानियों 
के बारे में तब तुम मुझे इस कदर याद 
आती हो की सब-कुछ भुलाकर मैं 
दौड़ा-दौड़ा तुम्हारे पास चला 
आता हूँ !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !