तुम्हारे साथ !
वो अक्सर मेरे सीने से
लिपटकर रोया करती है;
और मैं अक्सर उस से
बस यही कहा करता था;
मुझे तुम्हारा रोना बिलकुल
अच्छा नहीं लगता है;
और वो ये सुनकर और फुट
फुट रो लिया करती थी;
एक दिन जब मैंने उसे रोने
के लिए अपना कांधा देने
से मना कर दिया था;
तब उसने मुझसे कहा
राम जो तुम्हारे साथ बैठ
कर घंटों हंस सकती है ;
वो तुम्हारे साथ कुछ
घंटे ही बिता सकती है;
पर जो तुम्हारे साथ
खुलकर रो सकती है;
वो ही तुम्हारे साथ सारी
जिंदगी बिता सकती है;
फिर मैंने कभी उसे मना
नहीं किया अपना कांधा
देने और रोने के लिए।
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