Friday, 4 October 2019

तुम्हारे साथ !


तुम्हारे साथ !

वो अक्सर मेरे सीने से
लिपटकर रोया करती है;
और मैं अक्सर उस से 
बस यही कहा करता था;
मुझे तुम्हारा रोना बिलकुल 
अच्छा नहीं लगता है;
और वो ये सुनकर और फुट 
फुट रो लिया करती थी;
एक दिन जब मैंने उसे रोने  
के लिए अपना कांधा देने
से मना कर दिया था;
तब उसने मुझसे कहा
राम जो तुम्हारे साथ बैठ 
कर घंटों हंस सकती है ;
वो तुम्हारे साथ कुछ
घंटे ही बिता सकती है;
पर जो तुम्हारे साथ
खुलकर रो सकती है;
वो ही तुम्हारे साथ सारी
जिंदगी बिता सकती है;
फिर मैंने कभी उसे मना
नहीं किया अपना कांधा
देने और रोने के लिए।

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !