Tuesday, 8 October 2019

विष या अमृत !


विष छुपा है 
या अमृत छुपा है
मेरे रसातल में  
उतरकर इसका 
निर्धारण तुम करो 
फिर अनवरत उसका 
चिंतन करो
मैं अल्हड नदियों   
की हलचलों से भरा 
समंदर हूँ !

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !