Monday, 14 October 2019

एक तुम्हारे बिना


एक तुम्हारे बिना  

एक तुम्हारे बिना 
सूरज तो निकलता है 
पर दिन मेरा उगता नहीं है 
एक तुम्हारे बिना 
चाँद तो निकलता है 
पर रात गुजरती नहीं है 
एक तुम्हारे बिना 
घड़ियाँ चलती है है 
पर समय बीतता नहीं है 
एक तुम्हारे बिना 
दिल तो धड़कता है 
पर दिल बहलता नहीं है 
एक तुम्हारे बिना 
फूल तो खिलते है 
पर वो महकते नहीं है
एक तुम्हारे बिना 
पंछी तो चहचहाते है 
पर उनका यूँ बेसुरों में 
चहचहाना जंचता नहीं है
एक तुम्हारे बिना 
रातों को नींद आती नहीं है 
पर ये सपने दिन में सताते है 
एक तुम्हारे बिना 
मेरा मैं भीड़ में तो बैठा है
पर वो बहुत ही तन्हा है 
एक तुम्हारे बिना 
कितना कुछ छूटता जा रहा है 
एक तुम्हारे बिना ! 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !