एक तुम्हारे बिना
एक तुम्हारे बिना
सूरज तो निकलता है
पर दिन मेरा उगता नहीं है
एक तुम्हारे बिना
चाँद तो निकलता है
पर रात गुजरती नहीं है
एक तुम्हारे बिना
घड़ियाँ चलती है है
पर समय बीतता नहीं है
एक तुम्हारे बिना
दिल तो धड़कता है
पर दिल बहलता नहीं है
एक तुम्हारे बिना
फूल तो खिलते है
पर वो महकते नहीं है
एक तुम्हारे बिना
पंछी तो चहचहाते है
पर उनका यूँ बेसुरों में
चहचहाना जंचता नहीं है
एक तुम्हारे बिना
रातों को नींद आती नहीं है
पर ये सपने दिन में सताते है
एक तुम्हारे बिना
मेरा मैं भीड़ में तो बैठा है
पर वो बहुत ही तन्हा है
एक तुम्हारे बिना
कितना कुछ छूटता जा रहा है
एक तुम्हारे बिना !
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